९९% लोग नहीं जानते राम नवमी के बारे में ये बाते

Ram Navami: रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास में नवमी के दिन मनाया जाता है इसकी मनाने की पीछे की कथा है कि हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म नवमी के दिन हुआ था तो इस दिन को रामनवमी के अवसर समझ कर मनाया जाता है। (Ram-navami-kaise-manate-hai)

चैत्र मास में नवमी के दिन भगवान श्रीराम का जिन्हें हम मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से भी जानते हैं उनका जन्म हुआ था यह दिन हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार एक पवित्र दिन माना जाता है इसे मनाने की परंपरा सदियों से चलती आ रही है।

भगवान राम का जन्म कब हुआ था?

वाल्मीकि के ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म 10 जनवरी 5114 मैं चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। भगवान श्री राम की जन्म की समय में सभी ग्रह अपने उच्चतम स्थिति में मौजूद थे।

Ram Navami

रामनवमी कैसे मनाई जाती है

जैसे की हम सबको पता है कि भगवान विष्णु का अवतार भगवान श्रीराम थे। राजा दशरथ और रानी कौशल्या की बेटे के रूप में भगवान श्रीराम ने अयोध्या में जन्म लिया था। यह जन्म उन्होंने चैत्र शुक्ल पक्ष महीने में नवमी के दिन दिया इस दिन को उनकी जन्मतिथि के रूप में मनाया जाता है।

भारत में इस दिन को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक ग्रंथों का पठन किया जाता है। इसी के साथ व्रत और उपवास भी रखे जाते हैं। जन्मतिथि के समय पर भगवान श्री राम की पूजा और अर्चना की जाती है।

भगवान श्री राम की जन्म तिथि अयोध्या में बड़े ही जोरों से और हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस पावन समय में दूर-दूर से लोग अयोध्या होते हैं ताकि वह भी भगवान श्री राम के जन्म तिथि का आनंद ले सकें।

तिथि के अवसर पर भगवान श्री राम का पूजन कर के भजन और कीर्तन का आयोजन भी किया जाता है। भगवान श्री राम के साथ-साथ उनकी धर्मपत्नी यानी माता सीता और भगवान श्री राम के छोटे भाई लक्ष्मण की भी पूजा की जाती है।

भगवान श्रीराम ने विष्णु जी का अवतार धारण करके इस धरती पर जन्म लिया था। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु जी की भी आराधना की जाती है। नवमी के दिन पहले सभी देवताओं को जल रोटी और लेपन चढ़ाया जाता है। इसके बाद इन सभी की मूर्तियों पर चावल चढ़ाया जाता है। सभी देवताओं का आवाहन करके पूजा अर्चना की जाती है आरती की जाती है। इस शुभ मुहूर्त कुछ लोग व्रत भी रखते हैं।
रामनवमी के दिन भगवान श्री राम की पूजा की जाती है। इसमें उनकी मूर्तियों को गंगा जल से स्नान कराया जाता है। स्नान कराने के बाद उनकी मूर्तियों को पालने में जलाया जाता है।

भगवान श्री राम की जन्म कथा

त्रेता युग में बढ़ते हुए असुरों के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए भगवान श्री राम ने सातवा विष्णु अवतार धारण कर लिया। त्रेता युग में भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में मृत्यु लोक में जन्म और या फिर अवतार ले लिया।

रामायण पर लिखी महाकाव्य के अनुसार राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। लेकिन उन्हें संतान का सुख नहीं मिल रहा था। परेशान होकर राजा दशरथ में ऋषि वशिष्ठ से यज्ञ करने के लिए कहा। यज्ञ समाप्ति के बाद जलकुंड से एक दिव्य ऋषि अपने कटोरी में एक खीर लेकर प्रकट हुए। वही खीर राजा दशरथ ने अपनी पत्नियों को खिलाई।

फिर खाने के बाद कुछ ही महीने के अंदर राजा दशरथ को खुशखबरी मिली। उनकी बड़ी पत्नी यानि की रानी कौशल्या ने भगवान विष्णु के सातवें अवतार याने की श्रीराम को जन्म दिया। वही रानी कैकयी ने राजा भरत को जन्म दे दिया। राजा दशरथ की तीसरी बीवी यानी रानी सुमित्रा ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया जिनके नाम लक्ष्मण और शत्रुघ्न में रखे गए। भगवान श्रीराम का जन्म दुष्टों का संहार करना तथा मृत्युलोक पर शांति प्रस्तापीत करने के लिए हुआ था।

रामनवमी पर भगवान श्री राम की पूजा कैसे करें

रामनवमी के शुभ मुहूर्त पर आपको पूजा एवं हवन करना पड़ेगा। हवन सामग्री इसके लिए आपको पूजन के साहित्य एवं हवन की सामग्री इकट्ठा करनी पड़ेगी नीचे हमने सभी जानकारी दिए हैं कि आप किस प्रकार पूजा कर सकते हैं।

ram navami puja kaise kare

जिन लोगों को हवन करना है वह सुबह जल्दी उठकर स्नान करके और अच्छे वस्त्र धारण करके पूजा के लिए तैयार हो जाए। ऊपर दिए गए सभी वस्तु को इकट्ठा करके हवन की सामग्री बना ले। फिर हवन कुंड तैयार करके उसमें अग्नि प्रज्वलित करें।

उसके बाद ऊपर से घी डालकर और मंत्रों का जाप करके देवी देवताओं की आराधना करें। सभी मंत्रों का जाप 108 बार करें। सही से पूजा की विधि संपन्न करने के बाद अंत में जो भी कन्याए वहां मौजूद होंगी उन सब को भोजन प्रदान करें।

रामनवमी के दिन कौन से मंत्र का जाप करें

श्री राम जय राम जय जय राम
श्री रामचंद्राय नमः
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्रनाम तत्तून्य राम नाम वरा नने
रामनवमी के दिन इस मंत्र का जाप 108 बार करें यह आपके भविष्य के लिए लाभदायक होगा।

रामनवमी के दिन क्या खाना चाहिए

रामनवमी के दिन अगर आपका उपवास है तो आपको कुछ दिखाना चाहता ना चाहिए इसमें खासतौर से आपको सूजी का हलवा इसके साथ पंच पकवान से भरा थाली आपको खानी चाहिए जिसमें खीर खट्टा कद्दू एक सब्जी मसाला भिंडी आलू मटर पूरी और मीठे में गुलाबजाम खाना चाहिए।

रामनवमी के दिन भगवान राम के साथ-साथ हनुमान जी की पूजा क्यों की जाती है

रामायण के अनुसार सबसे श्रेष्ठ भक्तों में से एक भगवान श्री राम के भक्त जिन्हें हम हनुमान के नाम से जानते हैं उनकी भक्ति और अनन्य सेवा के लिए उनको याद करना भी जरूरी है। भगवान श्रीराम का साथ पूरे जीवन में अगर किसी ने नहीं छोड़ा तो वह थे उनके भक्त हनुमान।

अपने गुरु के प्रति मौजूद प्रेम और अपने भगवान के प्रति निष्ठा की बदौलत भगवान श्रीराम ने बहुत से काम आसानी से कर दिए। इसमें रावण का अंत भी मौजूद है। अगर हनुमान जी नहीं होते तो भगवान श्रीराम इस काम को अंजाम नहीं दे सकते थे। तो राम नवमी के दिन भगवान राम के साथ-साथ उनके सबसे प्रिय भक्त हनुमान जी को भी याद करना जरूरी है इसलिए रामा नवमी के दिन हनुमान जी की भी पूजा की जाती है।

अयोध्या में भगवान राम की मृत्यु के बाद राजा कौन बना

रामायण पर लिखी कथाओं के अनुसार भगवान राम के 2 पुत्र थे। जिनके नाम है लव और कुश। कथा के अनुसार भगवान श्रीराम का बड़ा पुत्र यानी कुश भगवान राम के मृत्यु के बाद राजा बना था।

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