10+ Short Story in Hindi with Moral for Children’s

Class 2 short moral stories in hindi: आज के इस लेख में हम आपको कई ऐसी कहानिया बताएंगे जिन्हें सुनकर आपके बच्चो को अच्छी सिख मिलेगी. ये कहानिया उन्हें जीवन में कामयाबी हासिल करने में एवं अच्छे जीवन को व्यतिथ करने के लिए प्रेरणा देंगी. उन्हें अच्छी शिक्षा मिलेगी. तो इन कहानियो को दिल से पढ़े ताकि आपको भी अच्छी शिक्षा मिल सके.

ये class 2 short moral stories in hindi और motivational stories in hindi आपको एक अच्छा सदेश जरुर देंगी इसका हमें यकीन है. hindi story for class 2 में पढ़िए १० ऐसी कहानिया जिसे आप अपने बच्चो को सुनाकर उनका दिल जित सकते हो.

शरारती बच्चा: (moral stories in hindi)

Class 2 short moral stories in hindi

रामू की उम्र 10 साल की थी. उसे बाहर की चीजें खाने की बुरी आदत थी. उसे घर का खाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था. उसके मम्मी पापा समझाते थे मगर उस पर कोई असर नहीं होता था.  राजू स्कूल से घर से आने के बाद हमेश चिल्लाता था की मुझे भूक लगी है. मुझे ये खाना नहीं खाना. मुझे पिझ्झा चाहिए.

एक दिन उसकी मम्मी ने आलू गोभी की सब्जी बनाई थी. मां पिताजी और रामू तीनों खाने की टेबल पर बैठे थे. रामू को खाना पसंद नहीं आ रहा था. वह खा नहीं रहा था. रामू को खाना पसंद नहीं आ रहा था. उसने कहा माँ मुझे गोभी की सब्जी पसंद नहीं है.

आखिर में उसने मम्मी पापा की नजरों से बचाकर सब्जी बनी पास रखे फूलदान में डाल दि. उसके बाद उसने उसने दूध भी फेक दिया. मम्मी घर की सफाई कर रही थी, तब फूलदान से रात के पराठा और सब्जी देखी. तभी उसके पापा भी वहां आए. तुम्हारे लाडले ने सारी सब्जी और दूध यहाँ फेंक दिया है.

इस देश में कई सारे ऐसे बच्चे भी हैं, जिन्हें दूध देखने को भी नहीं मिलता. तुम्हे मिलता है तो तुम्हे उसकी कदर नहीं है. सारे बच्चे आगे बढ़ते जा रहे हैं. इसी वजह से इसकी सेहत भी दिन पर दिन कम होती जा रही है. स्कूल की मैडम हमारी कोई मदद कर सके इसलिए अगले दिन वो स्कूल की मैडम के पास चले गए. उन्हें अपनी समस्या बतायी.

मैडम ने कहा की, सभी बच्चों में वो खेल कूद में भी काफी पीछे रहता है. अभी कुछ बताइए मैडम की इस समस्या से कैसे निपटा जाए, पिताजी ने कहा. अगले हफ्ते राजू के जन्मदिन की पार्टी थी. उसके सारे दोस्त और मैडम जी पार्टी में आई. राजू को खाने की पूरी छुट थी. बर्गर आइसक्रीम खाते हुए उसे कोई नाकि रोक रहा था.

जाते समय उसके मैडम ने उसे एक पौधा भेट में दिया. वो कहा जल्द से जल्द ये बाधा होना चाहिए. अपने मैडम की बात पे अमल करने के लिए उसने मम्मी और पापा से कहा की मै ऐसा क्या करू जिसकी वजह से ये पौधा बढ़ा हो जाए.

इसपर मम्मी और पापा ने उसे कोल्ड्रिंक और दूध डालने के लिए कहा. राजू भी पौधे में कोल्ड ड्रिंक डाल देता था. लेकिन कुछ दिनों बाद वो मुरझाने लगा. उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है. उसने पापा से पूछा, तब उसके पापा ने कहा, पौधे के मुरझाने की वजह है पानी की जगह कोल्ड्रिंक डालना. पौझे को जो चाहिए वो तुम उसे नहीं दे रहे हो. इसी वजह से ये बढ़ा नहीं हो रहा है. 

तुम्हारी सेहत का भी ऐसा ही है. तुम भी शरीर और सेहत के लिए जो अच्छा नहीं है उसे ही खा रहे हो. इसी वजह से तुम्हारी सेहत नहीं बन रही है. तुम्हारे शरीर को सही पोषक तत्व नहीं मिलने से वह अंदर से कमजोर होता जा रहा है. तुम पढ़ाई और खेलकूद में अपने दोस्तों से बिछड़ते जा रहे हो. रामू को पिताजी की बात समझ आ गई और उसने बाहर का खाना छोड़ दिया. 

चालाक लोमड़ी: (class 2 short moral stories in hindi)

तालाब के किनारे एक मगरमच्छ रहता था. उसने एक ब्राह्मण से आग्रह किया कि, वह उसे नदी के तट पर ले जाकर छोड़ दें. ब्राह्मण दयालु था. ब्राह्मण ने मगरमच्छ के आग्रह को बिना सोचे समझे स्वीकार कर लिया.

उसने मगरमच्छ को अपनी थैली में डाला और नदी नदी के तट के पास उटार दिया. उतरते ही उसने ब्राह्मण को अपने जबड़ो में जकड़ लिया. ब्राह्मण ने कहा की तुम ये गलत कर रहे हो. तो उसने कहा मै कुछ गलत नहीं कर रहा हूं.

अपनी जान बचने के लिए दुसरो की जान लेना कोई दोष नहीं है. इस चीज का समाधान पाने के लिए वो न्यायाधीशों के पास चले गए.

पहले दोनों आम के पेड़ के पास पहुंचे. पूरी कहानी सुनने के बाद आम के पेड़ ने लंबी सांस भरी, आम बोला इंसान हमारे पेड़ से फल खाते हैं. हमारी छाया का लाभ उठाते हैं. फिर जरूरत न होने पर हमें उखाड़ कर फेंक देते हैं. उसकी बातो से वो मगरमच्छ की रतफ है ऐसा प्रतीत होता है.

फिर दोनों मिलकर एक बूढ़ी गाय के पास पहुंचे. पूरी कहानी सुनने के बाद गाय बोली मेरा दूध पीते हैं और जब में दूध नहीं दे पाती तो मुझे बेच देते है.

अब दोनों को तीसरे न्यायाधीश थे लोमड़ी, लोमड़ी चालक थी उसने कहा, अपना निर्णय देने से पहले यह तो दिखाओ आप दोनों में झगडा कब और कहा हुआ.

मगरमच्छ ब्राह्मण के थैली में वापस बैठ गया. जैसे ही वो थैली में अन्दर चला गया लोमड़ी ने तुरंत थैली बंद कर दी. ब्राहमण से कहा ये दुनिया स्वार्थ पे जीती है. आज तुमसे काम है, तो तुम्हारे साथ है. कल तुम्हारे से काम नहीं है, तो तुम्हे ही सबसे पहले ख़तम करेगी.

तो उसे बंद करके छोड़ना मत और तबतक उस थैली का मुह मत खोलना जबतक तुम खुद को बचा न लो. ब्राह्मण ने भी वैसा ही किया और अपनी जान बचा ली.

डरपोक पत्थर: (hindi moral stories)

एक गाव में एक मूर्तिकार रहता था. एक बार मूर्ति बनाने के लिए उसे कुछ पत्थरों की आवश्यकता थी. तो वह जंगल की ओर जाता है. वह जंगल से एक पत्थर लेकर आता है. जो मूर्ति बनाने के लिए एकदम सही था. वह उस पत्थर को उठाकर अपनी गाड़ी में रख लेता है.

कुछ दूर जाने पर उसे एक और पत्थर दिखाई देता है. वह उसे भी उठा कर अपनी गाड़ी में रख लेता है. आगे अपने गांव की ओर चल देता है. घर जाकर जब वह पत्थर को मूर्ति में बदलने लगता है. तभी उस पत्थर में से आवाज आती है. कृपा करके मुझ पर हथोड़ा मत चलाओ.

मुझे हथौड़े की मार से बहुत डर लगता है. अगर तुम मुझ पर हथोड़ा चलाओगे तो मैं टूट जाऊंगा. मुझे छोड़ दो और किसी और पत्थर से मूर्ति बना लो. मूर्तिकार को उस पत्थर पर दया आ जाती है.

वह उस पत्थर को छोड़कर दूसरा पत्थर उठा लेता है. वह पत्थर पर जोर जोर से हथोडा मरना शुरू करता है. इस बार पत्थर से कोई आवाज भी नहीं आती है. कुछ ही देर में मूर्ति बनकर तैयार हो जाती है.

कुछ दिनों के बाद गांव की मंदिर में मूर्ति की स्थापना का दिन आता है. गांव वाले मूर्तिकार के घर जाते हैं और बोलते हैं अरे मूर्तिकार तुमने मूर्ति बनाइ है वो हमें चाहिए. वो सब यह मूर्ति उठाकर उस मंदिर में स्थापना के लिए उठाकर चलते हैं.

तभी उनके दिमाग में आता है की मूर्ति के सामने एक और पत्थर की जरुरत पड़ने वाली है. इस पर लोग नारियल फोड़ सकें. मूर्तिकार इधर उधर देखता है. उसकी नजर उस पत्थर पर पड़ती है जिसे मूर्तिकार ने छोड़ दिया था.

वह व्यक्ति उस पत्थर को उठा लेता है. जब इसके ऊपर लोग नारियल फोड़ देंगे तो आसानी से नारियल फूट जाएगा. सब गांव वाले मंदिर की ओर चलते थे. तभी उस पत्थर में भी दूर दूर से आवाज आती है. भगवान मुझे बचाओ.

तभी सब लोग गांव के मंदिर में पहुंच जाते हैं. मूर्ति की स्थापना कर देते हैं. उस पत्थर को उसके आगे रख देते हैं. फिर सब लोग उस मूर्ति की पूजा करना शुरू कर देते हैं. मूर्ति बना हुआ पत्थर बहुत खुश हो जाता है. लोग पत्थर को दूध से स्नान करवाते हैं. उसे चंदन का लेप लगाते हैं. उसके ऊपर फूल चढ़ाते हैं.

यह सब देखकर दूसरा पत्थर मूर्ति बने हुए पत्थर से बोलता है. अरे भाई तुम्हारी तो बहुत मजे हैं. लोग तुम्हें तो दूध से स्नान करवा रहे हैं. तुम्हारी पूजा कर रहे हैं. तुम्हारे ऊपर फूलों की बारिश कर रहे हैं.

तभी एक आदमी पत्थर पर दूर से नारियल फोड़ता है. उसपर वो बोलता है अरे मूर्ख व्यक्ति, मेरे ऊपर नीचे हो रहा है भगवान को नारियल चढ़ाने का इतना ही शौक है तो अपने सर पे क्यों नहीं फोड़ लेता.

तभी एक और व्यक्ति पत्थर पर नारियल फोड़ता है. हर व्यक्ति बारी-बारी से नारियल फोड़कर मुझे मार ही डालेंगे. यह सब देखकर मूर्ति बना पत्थर हसता है.

तब मूर्ति बना हुआ पत्थर उस दूसरे पत्थर से बोलता है, अगर तुमने उस दिन प्रहार सह लिए होते तो आज तुम मेरी जगह होते. लोग तुम्हारी भी पूजा कर रहे होते. लेकिन तुम डर गए तुमने उस दिन आसान रास्ता चुना था.

तो उस वक्त तो हमें बहुत सुकून और आराम मिलता है. पल भर के लिए खुशी भी मिल जाती है. किंतु आगे की राह और भी ज्यादा कठिन हो जाती है.

तब उस पत्थर को अपनी भूल का एहसास होता है. वह मूर्ति बने पत्थर से बोलता है. पत्थर मुझसे गलती हो गई. मैं समझ चुका हूं जो लोग मुश्किल परिस्थितियों से नहीं घबराते और उनका सामना करते हैं.

तभी एक व्यक्ति उस पत्थर पर दौड़ते हुए आकर नारियल फोड़ता है. इस बार में पत्थर जय श्रीराम बोलता है. नारियल टूट जाता है और इस बार उसे बिल्कुल भी दर्द नहीं होता है. तो वह भगवान का शुक्रिया अदा करता है. 

चालाक लोमड़ी: (Short stories in hindi)

एक व्यापारी जंगल से सामान लेकर जा रहा था. तब उनमें से एक ऊंट थकान से उधरही बैठ गया. मालिक ने सोचा इसका भार दूसरों पर डालकर निकलना पड़ेगा. इस ऊंट को हम यही रहने देते है.

कुछ देर बाद ऊंट ने अपनी ताकत बरामद की लेकिन तब तक वो सब चले गए थे. उस ऊंट को जंगल में अकेला छोड़ दिया था. कई दिन गुजर गए और इन दिनों में वो जैसे तैसे करके उस जंगल में जीवित रहा.

एक दिन एक शेर, तेंदुआ, चिता और कौवा ऊंट के यहाँ आए. उन्होंने कहा तुम अक्सर इन जंगलों में नहीं पाए जाते. ऊंट ने अपनी कहानी सुनाई. कहानी सुनकर वो बोले तुम्हारे साथ बुरा हुआ.

अब तुम्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. मेरे दोस्त और तुम मेरी सुरक्षा में हो. चलो हमारे साथ. ऊंट शेर के साथ जुड़ गया. वो खुश थे कि उनको एक शक्तिशाली साथी मिल गया था.

एक दिन एक हाथी के वार से शेर घायल हो गया. उसको अपनी गुफा में शरण लेना पड़ा और वो कई दिनों तक बाहर नहीं निकला. कौवा, तेंदुआ और लोमड़ी भोजन के लिए शेर पर निर्भर थे.

लोमड़ी ने कहा ऐसे में हम भूख से मर जाएंगे. शेर ने कहा की आज तुम मेरे लिए चिंतित जरुर होगे. तो आज तुम मेरे लिए शिकार लेकर आओ. 

तीनो साथी शेर के लिए शिकार ढूंढने निकल पड़ते है. परंतु उनको कुछ नहीं मिलता है. जब शेर से बात करने के लिए उनके गुफा में जाते है और बताते है की, जी हम आपके लिए कोई शिकार नहीं ले पाए.

लेकिन लोमड़ी कहती है की हमारे पास एक शिकार है. शेर ने कहा वो कौन? लोमड़ी कहती है ऊंट. शेर कहता है की वो तो अपना दोस्त है ना! हमने तो उसे वचन दिया है की हम उसे हानि नहीं पहुंचाएंगे शेर ने कहा. उसपर लोमड़ी कहती है की, हमें पता है की हमने उसे वचन दिया है लेकिन वो खुद ही बोले की आप मुझे खा लो तो फिर आप उसका शिकार करेंगे ना. शेर कहता है बिलकुल अगर ऐसा होता है तो मै उसका शिकार जरुर करूँगा.

लोमड़ी जल्दी अपने दोस्तों के पास आ पहुंचा और बोला की राजा भूख से मरने वाले हैं. वो ऊंट को कहता है की अगर तुम उनको विनती करोगे की आप मुझे खा लो तो आपके प्रति उनका प्रेम और भी बढ़ जाएगा. ऊंट को भी ये बात सच लगी और उसने वैसा ही करने का फैसला लिया.

जब जानवर शेर के पास आए. शेर ने कहा क्या हुआ दोस्तों कोई शिकार नहीं मिला. महाराज शिकार नहीं मिला. ऊंट बोला कृपया आप मुझ को ही खा ले. मुझे खा ले महाराज और अपना जीवन एक दिन के लिए बढ़ाये.

शेर कहता है की मै तुम्हारा प्रस्ताव का स्वागत करता हु. ऊंट कुछ समझ पता इस से पहले उन तीनो ने उसपर हमला किया और उसे मार दिया. धोखे बाजो ने उसके भरोसा का फायदा उठाया. इस कहानी से हमें यह सीख है कि हमेशा झूठे दोस्तों से सावधान रहें.

College Marathi Love Story